इससे जीवन में पूर्ण समृद्धि, सफलता और अक्षय कीर्ति प्राप्त होती है।
2.
तन पर केवल एक कपड़ा, और हाथ में रामचरितमानस की गुटका मात्र है तो क्या?? चलो! चलो! तुम्हारे लिए वहाँ ऋद्धि-सिद्ध से पूर्ण समृद्धि का ख़जाना प्रतीक्षारत है।
3.
इस दौरान आपने अपने पिता श्री की सम्पूर्ण भावनाओं एवं सपनों को साकार रखने में कोई कसर नहीं रखते हुए जीवन पर्यन्त बहुत सा धनार्जन किया, परिवार को पूर्ण समृद्धि प्रदान की।
4.
हमारी संस्कृति में ज्ञान और समृद्धि की संयुक्त पूजा अर्चना का विधान रखने के पीछे हमारे महान पूर्वजों का उद्देश्य ही यही था कि हम सचेत रहें कि पूर्ण समृद्धि ज्ञान प्राप्त करते रहने से ही मिलती है।
5.
मातृत्व एक पूर्ण रस, पूर्ण रसास्वादन है, इस भाव के उदित होते ही, इस महाभाव के अवतरित-प्रसरित-विस्तरित होते ही जीवन के सारे अभाव, कष्ट-क्लेश, वेदना-व्यथा काफूर हो जाते हैं और मानव दीनता में भी पूर्ण समृद्धि की अनुभूति करने लगता है।